Vishno devi : वैष्णो देवी मंदिर 108 शक्तिपीठों में से एक है। जम्मू और कश्मीर के त्रिकुटा पहाड़ियों पर बसा वैष्णो देवी मंदिर भारत के सबसे पवित्र हिंदू धर्मस्थलों में से एक है। करोड़ों भक्त माता वैष्णो देवी की कृपा पाने के लिए लंबी आध्यात्मिक यात्रा करके यहां आते है। फिल्मी सितारों से लेकर राजनेता सभी यहां दर्शन करने आते है। वैष्णो देवी का आकर्षण न केवल इस धाम की शक्ति में ब्लकि इससे जुड़ी कहानी में भी है। वैष्णो देवी की यात्रा की शुरुआत कटरा शहर से होती है, जो पहला केंद्र है, कटरा तीर्थयात्रियों और धार्मिक सामान बेचने वाली दुकानों से हमेशा भरा रहता है। यहां से, 6 किलोमीटर का रास्ता मनोरम घाटियों से होकर गुजरता है। शुरु के समय मे यह रास्ता बहुत खराब था, लेकिन बाद अब यह रास्ता बहुत अच्छे से बनाया जा चुका है। रास्ता दो तरह का है, एक सड़क दूसरा सीढ़ी यात्रियों के लिए दोनों तरह की सुविधा है।
वैष्णो देवी की यात्रा के पड़ाव
तीर्थयात्रा के अनूठ पहलुओं में से एक है, श्रद्धालुओं के बीच का जुड़ाव। यात्रा में चलते हुए भक्त “जय माता दी” का निरंतर जाप करते है, जिससे एकता और उद्देश्य की भावना पैदा होती है। आपको यहां यात्रा में जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों से मिलेंगे, जो मां की आस्था से जुड़े हुए है। इस पावन यात्रा में कुछ लोग पैदल यात्रा करते है, तो कुछ लोग ट्टू और खच्चर से अपनी यात्रा पूरी करते है। बुजुर्गो के लिए यह सुविधाजनक होता है। यात्रा का पहला पड़ाव अर्धकुंवारी है, जिसका मतलब “आधा रास्ता” होता है। अर्धकुंवारी में श्रद्धालु विश्राम करते हैं, नहा-धो कर आगे की यात्रा शुरु करते हैं, और माता अदिति की पवित्र गुफा के दर्शन करते है। इस मंदिर मे विराजमान देवी को सभी देवताओं की माता माना जाता है। अर्धकुंवारी के बाद का रास्ता संकरा है, और ऊंचाई बढ़ती जाती है, जो माता वैष्णो देवी की पूजनीय गुफा की ओर जाती है।
वैष्णो देवी के तीन रूप
वैष्णो देवी के गर्भ गृह मंदिर एक गुफा के सामान है, जहाँ माता दुर्गा के तीन रूपों – माता सरस्वती, माता लक्ष्मी और माता पार्वती – का स्थान माना जाता है। यहां, जलते दीपों और मंत्रों के जप के बीच, श्रद्धालु गहरी शांति और आध्यात्मिकता का अनुभव करते हैं। मंदिर से वापसी यात्रा भी उतनी ही खास है। कई श्रद्धालुओं का मानना है कि मंदिर से प्राप्त आशीर्वाद वापसी यात्रा में और सुदृढ़ हो जाते हैं। कटरा से पवित्र गुफा और वापस आने वाली पूरी यात्रा में सामान्यता 12 से 24 घंटे लगते हैं। जो किसी की गति और सहनशीलता पर निर्भर करता है। कठिन चढ़ाई मनुष्य जीवन के दुखो को पार करने का प्रतीक है। आध्यात्मिक जागृति की ओर आंतरिक यात्रा का सार है। सेवा और निस्वार्थ भाव की भावना भी हमेशा बनी रहती है। स्वयंसेवक और लोकल लोग पूरे रास्ते तीर्थयात्रियों को सहायता मुहैया कराते हैं। यहां टी सीरिज के मालिक गुलशन कुमार के बहुत से भंडारे चलते रहते है। जो 24 घंटे भक्तो के लिए भंडारा चलाते है।