RAW: भारत विश्व के जटिल भू-राजनीतिक परिद पृष्ठभूमि में स्थित है। राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए खुफिया तंत्र का मजबूत होना आवश्यक है। रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) भारत की वह परोक्ष ढाल है जो देश को विदेशी खतरों से बचाने में अहम भूमिका निभाती है।
Birth of RAW
1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद यह स्पष्ट हो गया कि भारत को एक समर्पित बाहरी खुफिया एजेंसी की आवश्यकता है। 1968 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रॉ की स्थापना की। रॉ के पहले प्रमुख आर.एन. कावुर थे।
Role in the Clandestine World
RAW का प्रथम कार्य विदेशी सरकारों, आतंकवादी संगठनों और अन्य ख़ुफ़िया एजेंसियों की गतिविधियों पर नज़र रखना है। यह विदेशों में भारतीय हितों की रक्षा करने, गुप्त सूचनाएं इकट्ठा करने और विदेशी ख़तरों को पहले ही खत्म करने में अहम भूमिका निभाता है।
Some of the main responsibilities of RAW are as follows
विदेशी खुफिया जानकारी जुटाना – RAW विदेशों में मौजूद भारतीय दूतावासों और अन्य स्रोतों के माध्यम से खुफिया जानकारी एकत्र करता है।
आतंकवाद विरोधी अभियान – RAW आतंकवादी गतिविधियों की निगरानी करता है और संभावित हमलों को रोकने के लिए अन्य सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर काम करता है।
अंतरराष्ट्रीय अपराध का मुकाबला – RAW विदेशों में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के लिए काम करता है और तस्करी तथा हथियारों के अवैध व्यापार जैसी अंतरराष्ट्रीय अपराधों से निपटने में सहयोग करता है।
विदेश नीति का समर्थन – RAW विदेश नीति के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है। यह विदेशी सरकारों के इरादों और नीतियों से जुड़ी जानकारी उपलब्ध कराता है।
RAW’s Achievements
RAW को बहुत सी सफलताओं का श्रेय दिया जाता है, जैसे –
1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान पाकिस्तान की सैन्य रणनीति की जानकारी जुटाना।
1998 के परमाणु परीक्षणों से पहले पाकिस्तान की परमाणु कार्यक्रम से जुड़ी खुफिया जानकारी एकत्र करना।
अल-कायदा और अन्य आतंकवादी संगठनों की गतिविधियों की निगरानी करना।
हालांकि, RAW गुप्त तरीके से काम करता है, इसलिए इसकी सफलताओं को सार्वजनिक रूप से साझा करना मुश्किल होता है।
Secrecy and Challenges
RAW के कामकाज की गुप्त प्रकृति के कारण, इसकी गतिविधियों और उपलब्धियों के बारे में बहुत कम जानकारी सार्वजनिक होती है। यह जवाबदेही बनाए रखने और एजेंसी के कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। गुप्तचर युद्ध का स्वरूप लगातार बदल रहा है। साइबर सुरक्षा के खतरे बढ़ रहे हैं और आतंकवादी संगठन नई तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। RAW को नई तकनीकों को अपनाते हुए और अपनी कार्यप्रणाली को लगातार अपडेट करते रहने की चुनौती है।