New born baby : घर में नवजात शिशु का आना किसी भी परिवार के लिए खुशियों का खजाना होता है। माता-पिता के लिए अपने लाडले को देखने भर से ही दुनिया की सारी खुशियां मिल जाती है। लेकिन इस खुशी से बढ़कर भी एक बात ध्यान रखना जरूरी है कि जब कोई नन्हा मेहमान इस दुनिया में आएं, तो वह स्वस्थ रहें। उसकी सेहत के लिए सही देखभाल करने के लिए आपको शुरु से ही कुछ बातों का ध्यान रखना जरुरी है। आप या आपके कोई खास को भी इन बातों को जरुर बताएं ताकि उनकी खुशियों में कोई विघ्न न आ जाएं।
आइए, इस ऑर्टिकल के जरिए हम नवजात शिशु की देखभाल से जुड़ी कुछ जरूरी बातों पर चर्चा करते है –
Breastfeeding
- न्यू बॉर्न बेबी के लिए ब्रेस्टफीडिंग सर्वोत्तम आहार है। मां का दूध पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो शिशु की इम्यून सिस्टम स्ट्रांग होता है।
- जन्म के शुरुआती घंटों में ही शिशु को ब्रेस्टफीडिंग कराना शुरू कर देना चाहिए।
- शिशु को मांग के अनुसार दूध पिलाएं, किसी निश्चित समय अंतराल का पालन करने की ज़रूरत नहीं है।
- ब्रेस्टफीडिंग कराने की सही तरीकें सीखें ताकि शिशु को दूध आसानी से मिल सके और साथ ही मां को भी तकलीफ न हो।

Bathing
- नवजात शिशु को रोज़ाना नहलाना नहीं चाहिए। सप्ताह में 2-3 बार गुनगुने पानी से नहलाना ही काफी है।
- नहाने के लिए हल्के शिशु साबुन का यूज करें।
- स्नान के बाद शिशु की कोमल त्वचा को मुलायम तेल से मालिश करें।
- नाभि के आस-पास घाव को सूखा रखना ज़रूरी है, इसलिए उसे सावधानी से साफ करें।
- नाभि निकल जानें के बाद उसमें सरसों का तेल लगाते रहें, घाव जल्दी सूख जाएगा।
Sleep
- न्यू बॉर्न बेबी दिन में ज्यादातर समय सोते रहते हैं। 18 से 20 घंटे तक की नींद उनकी ग्रोथ के लिए ज़रूरी है।
- शिशु को उनकी नींद पूरी करने दें। उन्हें किसी तय समय पर सोने के लिए जबरदस्ती न करें।
- शिशु को एक आरामदायक बिछौना दें। कमरे का टेम्परेचर नॉर्मल रखें और शोरगुल कम से कम हो।

Burping
- दूध पिलाने के बाद शिशु को डकार दिलवाना बहुत ज़रूरी है। इससे उन्हें पेटदर्द और उल्टी से बचाया जा सकता है।
- बच्चें को सीधा गोद में लेकर उसकी पीठ को थपथपाएं। डकार आने के बाद आप देख सकते है कि बच्चें का पेट सॉफ्ट हो गया है।
- आप शिशु को अपने कंधे पर भी रख सकते हैं, और उनकी पीठ को सहारा देकर हल्के से थपथपाते रहें।
Diaper Change
- गीले या गंदे डायपर को तुरंत बदल दें। इससे बच्चें को रैशज होने हो सकते है।
- हर बार डायपर बदलने से पहले और बाद में अपने हाथों को अच्छी तरह धो लें। क्योंकि इसके बाद आपको बच्चें के पास आना है। आपके गंदे हाथों से बच्चें को इंफेक्शन हो सकता है।
- यूज किए गए डायपर को पॉली बैग में बंद करके ही कूड़ेदान में फेंके।

Crying
- न्यू बॉर्न बेबी अपनी ज़रूरतों को बताने के लिए रोते हैं। रोने के पीछे भूख लगना, गीला डायपर, अन्कंफर्ट, या किसी और चीज़ की मांग जैसे खिलौने या आवाज की मांग।
- शिशु के रोने का कारण समझने की कोशिश करें।
- उन्हें दूध पिलाने की कोशिश करें, डायपर चेक करें, या उन्हें गोद में लेकर प्यार से बात करें।
- अगर बच्चें का रोना लगातार बना रहे या उन्हें बुखार हो, तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें।