EAC-PM report : 65 सालों में हिंदुओं की आबादी में 7.8% की गिरावट,मुसलमानों में 43.15% की वृद्धि

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EAC-PM report
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EAC-PM report : हाल में ही एक पेपर के सर्वे रिपोर्ट की बताया गया है, कि भारत में 1950 और 2015 यानी की 65 सालों में हिंदू आबादी में 7.82% की गिरावट आई है। वही मुसलमानों में 43.15% की वृद्धि हुई हैं। इससे साफ पता चल रहा है कि भारत में विविधता को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री की सलाहकार परिषद की एक रिपोर्ट धार्मिक अल्पसंख्यकों की हिस्सेदारी एक क्रांस कंट्री विश्लेषण (1950-2015) शीर्षक वाले अखबार में बताया गया है कि देश में जैनियों की हिस्सेदारी 65 सालों में 0.10% (1950 में 0.45% से घटकर 2015 में 0.36%)कम हो गई है।वही यदि हिन्दू आबादी की बात करे तो सन 1950 में भारत की आबादी में 84.68% की हिस्सेदारी थी वही 2015 में 78.06% हिस्सेदारी बची है। इस तरह से भारत में हिंदू आबादी में 65 सालों में 7.82% की कमी दर्ज हुई है।

EAC-PM report के मुताबिक बढ़ रही है मुस्लिम आबादी 

वही यदि मुस्लिम आबादी की बात करे तो 1950 में देश की आबादी में 9.84% हिस्सेदारी थी जो कि 2015 में बढकर 14.09% हो गई इस तरह से 65 वर्षों में भारत की आबादी में इनकी हिस्सेदारी 43.15% की वृद्धि दर्ज की गई हैं।अखबार के अनुसार ईसाई आबादी के हिस्से में भी 5.38% की वृद्धि दर्ज की गई हैं।इस तरह से देखा जाए तो ईसाई समुदाय की देश में जनसंख्या की हिस्सेदारी 1950 में 2.24% थी जो कि 2.36% हो गई है।जबकि सिख आबादी का हिस्सा 1950 में 1.24 प्रतिशत से बढ़कर 2015 में 1.85 प्रतिशत हो गया – उनके हिस्से में 6.58 प्रतिशत की वृद्धि हुई,भारत में पारसी आबादी की हिस्सेदारी में 85 प्रतिशत की भारी गिरावट देखी गई,जो 0.03 प्रतिशत से कम हो गई। 1950 में हिस्सेदारी 2015 में 0.004 प्रतिशत हो गई।

EAC-PM report में क्या है विश्वस्तरीय के आंकड़े

ईएसी-पीएम (प्रधानमंत्री की सलाहकार परिषद)की सदस्य शमिका रवि के नेतृत्व वाली एक टीम के द्वारा किए गए सर्वे में बताया गया कि भारत की बहुसंख्यक आबादी की हिस्सेदारी घट रही है वही अल्पसंख्यको की हिस्सेदारी बढ रही हैं।इस तरह से देखा जाए तो बहुसंख्यक आबादी की हिस्सेदारी में कमी और इसके परिणामस्वरूप अल्पसंख्यकों की हिस्सेदारी में वृद्धि से पता चलता है कि सभी नीतिगत कार्यों, राजनीतिक निर्णयों और सामाजिक प्रक्रियाओं का शुद्ध परिणाम समाज में विविधता बढ़ाने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करना है।वही यदि वैश्विक रुझानों को ध्यान में रखते हुए भी
बहुसंख्यक धार्मिक संप्रदाय की हिस्सेदारी में 7.82% की कमी देखी गई हैं।वही अखबार ने कहा कि दक्षिण एशियाई पड़ोस के व्यापक संदर्भ को देखते हुए यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है, जहां बहुसंख्यक धार्मिक संप्रदाय की हिस्सेदारी बढ़ी है और बांग्लादेश,पाकिस्तान,श्रीलंका, भूटान और अफगानिस्तान जैसे देशों में अल्पसंख्यक आबादी चिंताजनक रूप से घट गई है।इसमें बताया गया कि मालदीव को छोड़कर सभी मुस्लिम बहुसंख्यक देशों में बहुसंख्यक धार्मिक संप्रदाय की हिस्सेदारी में वृद्धि देखी गई,जहां बहुसंख्यक समूह (शफ़ीई सुन्नियों) की हिस्सेदारी में 1.47 प्रतिशत की गिरावट आई।बांग्लादेश में, बहुसंख्यक धार्मिक समूह की हिस्सेदारी में 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई,जो भारतीय उपमहाद्वीप में इस तरह की सबसे बड़ी वृद्धि है। 1971 में बांग्लादेश के निर्माण के बावजूद पाकिस्तान में बहुसंख्यक धार्मिक संप्रदाय (हनफ़ी मुस्लिम) की हिस्सेदारी में 3.75 प्रतिशत की वृद्धि और कुल मुस्लिम आबादी की हिस्सेदारी में 10 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।अखबार के अनुसार,गैर-मुस्लिम बहुसंख्यक देशों में,म्यांमार,भारत और नेपाल में बहुसंख्यक धार्मिक संप्रदाय की हिस्सेदारी में गिरावट देखी गई।

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