Cellular Jail : अंडमान और निकोबार द्वीप पर बना सेलुलर जेल, जिसे ‘काला पानी’ के नाम से भी जाना जाता है, भारत के उपनिवेश का इतिहास का एक भयावह अध्याय है। ब्रिटिश सरकार ने इस जेल को 1896 से 1906 के बीच बनाया था, और इसका लक्ष्य अपराधियों और विशेष रूप से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारियों को बहिष्कृत करना था। यह तीन मंजिला जेल एक विशाल इमारत है, जिसे इस तरह बनाया गया था कि क्रांतिकारी एक-दूसरे से पूरी तरह से अलग-थलग रहें। जेल में कुल 698 कोठीयां थीं, जहाँ क्रांतिकारियों को अकेले रखा जाता था। इसका मकसद था कि क्रांतिकारी आपस में विचार न कर सकें और उनकी हिम्मत टूट जाए।
वीर सावरकर, भगत सिंह भी थे यहां कैदी
Cellular Jail की दीवारें अंग्रेजो के दर्दनाक अत्याचारों की खामोश गवाह हैं। कैदियों को अमानवीय परिस्थितियों में रखा जाता था। यहां क्रांतिकारियों को कठिन परिश्रम कराया जाता था और उन्हें रोज यातनाएं दी जाती थीं। इन कठिनाइयों के बावजूद, वीर सावरकर, भगत सिंह, योगेंद्र शुक्ल, सुभाष चंद्र बोस जैसे असंख्य स्वतंत्रता सेनानियों ने इस जेल में अपनी वीरता और देशभक्ति का परिचय दिया। सालों तक चले स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जेल में बंद क्रांतिकारियों की पीड़ा को देखते हुए महात्मा गांधी और रवींद्रनाथ टैगोर जैसे नेताओं ने इसका विरोध किया। उनके कठिन प्रयासों के कारण ब्रिटिश सरकार को 1930 के दशक में इस जेल में राजनीतिक बंदियों को कम करना पड़ा और अंत में 1945 इसे पूरी तरह से बंद कर दिया गया।
आजादी के बाद 1979 में सेलुलर जेल को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया गया। अब यह स्वतंत्रता संग्राम के बलिदानों को याद करने का एक महत्वपूर्ण स्थल बन गया है। जेल परिसर में प्रतिदिन शाम को होने वाला ‘स्वतंत्रता संग्राम – प्रकाश और ध्वनि काव्य’ (Light and Sound Show) भारत के स्वतंत्रता संग्राम की गाथा को जीवंत करता है। इसके साथ ही, जेल परिसर में एक संग्रहालय, एक चित्र प्रदर्शनी और एक फोटो गैलरी भी है, जहां आप स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी वस्तुएं और तस्वीरें देख सकते हैं।
दर्द से करहाते थे रोज लाखों क्रांतिकारी
सेलुलर जेल केवल एक इमारत नहीं है, बल्कि यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष और बलिदानों का भी प्रतीक है। यह हमें उन वीर सपूतों को याद दिलाता है जिन्होंने अपनी स्वतंत्रता की इच्छा के लिए अत्याचारों को सहा और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। यह तीर्थस्थल हमें यह संदेश देता है कि आजादी हमें आसानी से नहीं मिली है और इसका सम्मान करना हमारा कर्तव्य है। फिलहाल यह जेल आम नागरिकों के लिए खोल दी गई है। बहुत से पर्यटक हर रोज यहां आते है। देश के वीर शहीदों की याद में हर रोज यहां Light and Sound Show कराया जाता है। देश इन वीरों को कभी भूल नही सकता।