गरूड़ पुराण के अनुसार इंसान अपने कर्मों के हिसाब से ही नरक या स्वर्ग में जाता है।

वही स्वर्ग का सिर्फ एक ही द्वार है, वही नरक के 36 द्वार है। 36 भागों में बंटे नरक के द्वार में अलग-अलग कर्मों के अनुसार सजा का प्रावधान भी तय किया गया है।

आज हम आपको कुछ प्रमुख नरक द्वारों के विषय में बताएंगे।

सबसे पहले महावीचि यह वह नरक है जो पूरी तरह खून से भरा है, इसमें लोहे के बड़े-बड़े कांटे है। गौ-हत्या करने वाले इस नरक के भागी होते है।

कुंभीपाक इस नरक की जमीन गरम बालू और आग से भरी होती है। जो व्यक्ति ब्राह्मण हत्या करता है,  वह इस नरक में जाता है।

रौरव नरक के भागी वह लोग होते है, जो झूठी गवाही देते है। यहां इंसान को लोहे के जलते हुए तीर चुभाए जाते है।

शादीशुदा पुरुष जो पराई स्त्री से संभोग करते है, वह महाप्रभ नरक के भागी होते है। इस नरक में में इंसान को लोहे के गरम तीरो में पिरोया जाता है।

माता-पिता या मित्र की हत्या करने वाले को महातामिस्त्र नरक जाना पड़ता है। जिसमें लाखों जौंके इंसान का रक्त चूसती है।

जो इंसान शास्त्रों में निषेध बताए गए भोजन को चटकारे लेकर खाते है। वह महाभीम नरक के भागी होते है। यह नरक बदबूदार मांस और रक्त से भरा होता है।