इस बार का लोकसभा इलेक्शन बहुत खास था, एक तरफ एनडीए और दूसरा तरफ 13 पार्टियों का गठबंधन।

4 जून को रिजल्ट के नतीजे आने पर लोगो के होश ही उड़ गए। क्योंकि बीजेपी के चुनाव प्रचार का स्लोगन ही इस बार 400 पार था।

4 जून को रिजल्ट आने पर बीजेपी को 400 पार उम्मीद के साथ ही और भी झटके मिलें।

सबसे पहले तो यूपी की डबल इंजन की सरकार में सपा ने इस बार बहुत सीट निकाली। वहीं महाराष्ट्र मे भी बीजेपी का हाल बेहाल रहा।

लेकिन इस बार के चुनाव में बीजेपी के बहुत से बड़े चेहरो के साथ ही ओडिसा के 2000 से चली आ रही नवीन पटनायक की सरकार ने अपना वर्चस्व खो दिया।

बीजेपी की स्मृति ईरानी जिन्होंने 2019 में राहुल गांधी को पीछे छोड़ दिया था। इस बार उन्हें भारी मतो से हार का सामना करना पड़ा। 

वही मामा यानि की शिवराज सिंह ने इतने अधिक मतो से विजय प्राप्त की। शिवराज सिंह 8 लाख मतो से जीते, और यह एक रिकॉर्ड बन गया है। माना जा रहा कि मध्य प्रदेश की सारी सीट भी बीजेपी के खाते में शिवराज की वजह से ही है।

राम मंदिर के मुद्दे पर अभी तक राजनीति करने वाली बीजेपी राम मंदिर बनाकर भी अयोध्या से ही चुनाव हार गई।

जम्मू कश्मीर के दो दशको के दिग्गज राजनेता उमर अब्दुल्ला और महबूबा को एक भी सीट नहीं मिली।

बाड़मेर से सबसे चर्चित और विवादित चेहरे रविंद्र सिंह भाटी भी हार गए। भाटी को बीजेपी से टिकट न मिलने पर वह निर्दलीय खड़े हुए थे। भाटी के कैंपन को जनता का बहुत सपोर्ट मिला था, पर नतीजे कुछ और ही कहानी बता रहे है।

अन्नामलाई जिनका एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह मस्जिद की तरफ तीर चलाते हुए दिखाई दी। लेकिन जनता सिर्फ हिंदू-मुस्लिम की राजनीति नही चाहती इस बार के रिजल्ट से यह साबित हो गया।

अधीर रंजन चौधरी को पहली बार मैदान में उतरे युसुफ पठान ने बड़ा झटका दिया। युसुफ पठान को टिकट टीएमसी से मिला था।

नोटा को इस बार दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा जनता का प्यार मिला। इसका मतलब है कि जनता सरकार के कामों से नाखुश दिखाई दे रही है।

आंध्रप्रदेश में लंबे समय से कब्जा किए हुए, जगन मोहन रेड्डी की YSRCP इस बार महज 4 सीटों पर सिमट गई है। वही बीजेपी के खाते में 3 तो पवन कल्याण की जनसेना पार्टी ने 2 सीटों पर जीत हासिल की।