Meditation : जब संसार के भ्रम जाल से मुक्ति पाना हो, तो अपना लें दैनिक जीवन में ध्यान

0
Meditation
Meditation

Meditation : आपने बचपन से जब भी किसी संत महात्मा की कहानी सुनी होगी तो ध्यान की प्रकिया के बारे में जरूर सुना होगा। यूं तो ध्यान शब्द अपनी गहराई को बताने के लिए परिपूर्ण है, लेकिन जब हम ध्यान योग के बारे में विचार विमर्श करते है। तब आपको पता चलता है कि ध्यान इतना भी आसान नही है। ध्यान को लेकर जो विचार है, वह किसी भी व्यक्ति का स्वंय का अनुभव है। आप अगर ध्यान करते है, तो आपके अनुभव औरों से भिन्न होगें। अगर आप पुराने अनुभवों को ही महसूस कर रहे है, तब मान लीजिए आपकी ध्यान का मुद्रा एकमात्र आपकी सोच है। एक तरफ जहां ध्यान योग एक कठिन प्रक्रिया है, वही ध्यान करना बहुत आवश्यक है।

Meditation क्यों है जरूरी

ध्यान करने का प्रथम उद्देश्य मन और मस्तिष्क की शांति ही है। लेकिन इससे हटकर आपको ध्यान दैनिक विचारों के वह जाल जो उस समय से बुने गए है। जब इस धरती की शुरुआत हुई, विज्ञान के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति की सोचने और समझने का स्तर भिन्न है। परंतु आज भी हम सिर्फ उसी दिशा में सोचते है, जैसा हमें बचपन से पढ़ाया या बताया गया है। यह एक तरह से भेड़चाल है, लेकिन अगर आप स्वंय को इस सामान्य जगत से भिन्न मानते है, तो आपको ध्यान योग पर कार्य करना चाहिए। आपको इस जगत या समाज की वह लेयर दिखेगी, जो सिर्फ दिखावे के लिए बनी है। आप जैसे बहुत से लोग इस समाज द्वारा बनाई गई विचारधारा या अंधविश्वास पर सिर्फ बहस करते है। लेकिन उस विचारधारा से स्वंय को निकालने की कोशिश नही करते है। यह कार्य आपके लिए ध्यान योग आसानी से कर सकता है। आपमें से बहुत लोगें ने विपासना के विषय में सुना होगा। लेकिन इस तरह के कठिन योग को करने के लिए सामान्य इंसान राजी नही होता। वही ध्यान करना आसान नही होता, ध्यान की अंतिम क्षण तक पहुंचने के लिए आपको लंबे समय की तैयारी की आवश्यकता है। यह अंतिम क्षण बहुत से योगी,मुनियों ने प्राप्त किया है।

Meditation का शुरुआती दौर

ध्यान योग जब आप शुरु करेंगे, तब सबसे पहले ध्यान मुद्रा शुरु होते ही आपके सारे विचार जो दैनिक जीवन में आप महसूस कर रहे है, या देख रहे है। वह आपके मस्तिष्क पर हावी हो जाएंगे। लेकिन जब आप लंबे लगभग 21 दिन के बाद आप ध्यान की उस स्थिति में होगें, जब आपके मस्तिष्क में नए विचार तेजी से हावी होगें। यह ध्यान रखिए आप अभी तक ध्यान की मुद्रा में नही पहुंचे है। अभी तो आप सिर्फ ध्यान के शुरुआती दौर में है। इसके 21 दिन बाद आपको शून्य दिखेगा, लेकिन फिर भी आपको शून्य में शांति नहीं शोर का अहसास होगा। यह शोर आपके मस्तिष्क में नए विचार पैदा करने की कोशिश करेगा। लेकिन यह आपके ऊपर निर्भर होगा कि कैसे आप इन विचारो से लड़कर शून्य की खोज में आगे बढ़ते है। ध्यान एक लंबे समय तक प्रैक्टिस करने के बाद ही आप इसे पूरी तरह या कुछ हद तक अपना सकते है।

पीएम मोदी के Meditation को क्यों बोला दिखावा

पीएम मोदी के 45 घंटे ध्यान लगाने से विपक्ष या क्रिटिक्स ने बहुत से विचारों पर विवाद किया। जैसे कि कैमरों के साथ ध्यान का क्या महत्व। लोगों का मानना है कि ध्यान के लिए आस-पास शून्य या शांति होना बहुत आवश्यक है। लेकिन यह तर्क सरासर मिथ्या है। अगर आप ध्यान की परम स्थिति को अपना चुके है, जो लंबे समय में ही हासिल होती है। तब आपको पता चलेगा कि ध्यान सही मायने में शोर में ही सफल है। ध्यान की खास बात यहीं है कि आप आस-पास के शोर को अपने ऊपर हावी न होने दें। ध्यान एक योग है, जो समय के साथ परिपक्व होता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

five + sixteen =