Pig kidney transplant : अमेरिकी राज्य मैसाचुसेट्स में सुअर की किडनी का मानव जीवन में पहली बार प्रत्यारोपण करवाने वाले 62 वर्षीय रिचर्ड रिक स्लेमैन की मौत सर्जरी करवाने मात्र दो माह में ही हो गई।हालांकि मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल (एमजीएच) ने रविवार को कहा कि ऐसा कोई संकेत नहीं है कि उनकी मौत प्रत्यारोपण के कारण हुई हैं।रिचर्ड को मार्च के महीने में जेनेटिकली मॉडिफाइड सुअर की किडनी लगाई गई थी।जिस समय किडनी लगाई गई थी उस समय डॉक्टरो की टीम ने कहा था कि यह किडनी कम से कम दो सालों तक रिचर्ड के शरीर में ठीक से काम कर सकती है।किडनी की बीमारी के अलावा रिचर्ड को टाइप 2 मधुमेह और उच्च रक्तचाप से भी पीड़ित थे।2018 में उनका मानव किडनी प्रत्यारोपण किया गया था जो पांच साल बाद विफल होने लगा।
Pig kidney transplant कैसे हुआ था ऑपरेशन सक्सेसफुल
16 मार्च को उनके सुअर के गुर्दे के प्रत्यारोपण के बाद,इलाज कर रही डॉक्टरो की टीम ने कहा कि उन्हें अब डायलिसिस की आवश्यकता नहीं है क्योंकि नया अंग पूरी तरह से काम करने लगा है।वही एमजीएच के प्रवक्ता ने कहा कि रिचर्ड को दुनिया भर में अनगिनत प्रत्यारोपण रोगियों के लिए हमेशा आशा की किरण के रूप में देखा जाएगा और हम ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन के क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए उनके द्वारा किए गए इस महान कार्य के प्रति हमेशा आभारी रहेंगे।ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन जीवित कोशिकाओं,ऊतकों या अंगों को एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति में प्रत्यारोपित करना है।रिचर्ड से पहले सुअर की किडनी को सिर्फ ब्रेन-डेड व्यक्ति के शरीर में ट्रांसप्लांट किया गया था।रिचर्ड की मौत के बाद उनके परिजनों ने ट्रांसप्लांट करने वाली टीम का शुक्रिया अदा किया है।उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की वजह से हमें रिचर्ड के साथ कुछ और समय बिताने को मिला। रिचर्ड इस सर्जरी के लिए तैयार हुए थे ताकि दुनियाभर में उनके जैसे दूसरे मरीजों को जीने की एक नई उम्मीद मिल सके।रिचर्ड की सर्जरी के एक महीने बाद अप्रैल में न्यू जर्सी की लीजा पिसानो नाम की महिला को भी जेनेटिकली मॉडिफाइड सूअर की किडनी लगाई गई थी। इसके अलावा उसे मकैनिकल पंप भी लगाया गया था, जिससे उसका दिल धड़कता रहे।
Pig kidney कैसे इंसान के शरीर के लायक बनाई
सूअर की जीन्स में ग्लाइकोन नाम का एक शुगर मॉलिक्यूल होता है, जो इंसानों में नहीं होता है। इस शुगर मॉलिक्यूल को हमारी बॉडी एक फॉरेन एलिमेंट की तरह ट्रीट करती है और इसे रिजेक्ट कर देती है। इस वजह से इससे पहले जब भी किडनी ट्रांसप्लांट करने की कोशिश की गई, वो फेल हो गई।वैज्ञानिकों ने इस समस्या से निपटने के लिए सूअर के जीन में पहले से ही बदलाव कर इस शुगर मॉलिक्यूल को निकाल दिया था। साथ ही जेनेटिक इंजीनियरिंग से सूअर के जीन्स में बदलाव कर किडनी का ट्रांसप्लांट किया गया।