Women’s special : “बेटियां कभी बोझ नहीं होती”
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बेटी तो नटखट अदाओं से मन को
मोह लेती हैं।
इधर उधर आंगन में मटक कर सदा हंसाती ही रहती है।
घर आंगन की चांदनी होती है बेटियां।
सार घर रोशन रहता है बेटियों से।
कभी गले में हाथ डाल झुलती है।
कभी डांटती है ,तो कभी रूठ जाती है । उसकी हर अदा में सदा अपनत्व ही झलकता है।
रुठ जाती है तो मना लेता हूं उसे।
उसकी डांट भी प्यार से खा लेता हूं । बाजार जा जिद कर उसने मुझे
नये कपड़े , पर्स ,घड़ी दिला दिया ।
एक बार तो स्मार्टफोन दिला दिया।
बेटीयों का कोई मुकाबला नहीं कभी ।
विवाह होते ही पुत्र – वधु तो चले गये ।
बेटी ससुराल जाकर भी अपनी ही रही। बेटी को पराया या बोझ मानना तो
अक्षम पाप के सिवा और कुछ नहीं । भ्रूण हत्या तो सृष्टि को ही कलंकित करना है ।
जिंदगी का अहम हिस्सा हैं बेटियां । प्यार स्नेह अपनत्व ही देती है बेटियां ।
बेटियां राष्ट्र का ही नहीं सृष्टि का आधार होती है ।
मेरी यह मनोकामना है प्रभो कि ,
बेटीयों की आंखों में कभी आंसू ना आएं।
हर स्थिति में वह मजबूती से खड़ी रहे ।