सबसे पहले इस श्रेणी में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम आता है, जिन्होंने चुनाव के बिगुल बजते ही सबसे पहले यह कदम उठाया था।
दूसरा सबसे बड़ा झटका अशोक चव्हाण ने कांग्रेस पार्टी को दिया है, जिन्होंने अध्यक्ष पद न मिलने के कारण भाजपा का दामन थाम लिया है।
तीसरे नंबर पर मिलिंद देवड़ा ने कांग्रेस से अपना बरसों का नाता तोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है।
झारखंड़ के सीता सोरेन ने बीते दिनों झामुमो से नाता तोड़कर पार्टी को बड़ा झटका दिया है।
राहुल कांसवा ने चुरू से भाजपा का टिकट न मिलने पर इन्होनें कांग्रेस का दामन थाम लिया।
पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा ने बीते दिनों भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है, आपको बता दें ज्योति ने 2009 में नागौर से डेढ़ लाख से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की थी।
रितेश पांडे ने बसपा छोड़कर अब भाजपा की शरण ले ली है।
सुशील कुमार रिंकू ने जालंधर में आम आदमी पार्टी का साथ छोड़कर अब बीजेपी के साथ पकड़ लिया है।
सबसे विवादित नामांकन विजेंदर सिंह का रहा, क्योंकि कुछ घंटो पहले ही राहुल गांधी ने विजेंदर सिंह के साथ एक्स पर पोस्ट शेयर की थी। उसके कुछ देर बाद ही उन्होनें भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली।
वैसे हर बार के चुनाव में यह आम ही बात है, लेकिन इस बार का चुनाव कई कारणों से खास है। एक तरफ भाजपा का 400 पार का वादा और दूसरी तरफ कांग्रेस का देश बचाओं का नारा लोगों की नजरों में छाया है।