Hindi : हिंदी के लिए एक दिवस तय करना कितना मुश्किल मालूम होता है परन्तु चलो कुछ न होने से बेहतर है कुछ होना, हमारे देश की ४३.६ प्रतिशत जनसंख्या हिंदी बोलती है फिलहाल विश्वस्तरीय आंकड़े में मेरी रुचि न के बराबर है, देश के आंकड़े देखें तो यह हिंदी भाषी प्रदेशों की जनसंख्या के है इसमें से यह तय कर पाना मुश्किल है कि कितने प्रतिशत लोग इसका पूर्ण रूप से प्रयोग करते है। वैसे मैं किसी भी प्रकार के नकारात्मक विचार का समर्थन नही करना चाहती बस हिंदी के पक्ष में कुछ विचार है जिसको आज के दिन लिखना ज़रूरी था इसलिए लिख दिया जिस प्रकार किसी आदमी का जन्मदिवस आने पर उसके जीवन का हर बार एक साल कम होता जाता है उसी प्रकार प्रत्येक हिंदी दिवस पर हिंदी की उम्र भी एक साल कम होती दिख रही है अब वो समय दूर नही जब एक दिन हिंदी मृत्यु शैय्या पर लेटकर अपना अंतिम संस्कार स्वयं ही कर लेगी क्योंकि उसका वारिस मिलना मुश्किल होगा । समय की बढ़ती रफ़्तार में जैसे हम बहुत सी बातों पर गौर नही करना चाहते है उसमें से एक हिंदी भाषा का तिरस्कार भी है, इसका कारण पाश्चात्य संस्कृति को अपनाना या अभी तक राजनीति, धर्म, जाति, के मुद्दे हिंदी से नही जुड़े इसलिए हिंदी की गिरावट पर बोलना कूल सांउड (ठंडी आवाज) नही करता। अभी जिस हिसाब से देश के ज़रूरी मुद्दे हांसिए पर रखे जाते है शायद उस श्रेणी में एक बार मरने से पहले हिंदी को भी स्थान मिल जाए और न मिला तो तय है कि मरने के बाद जरूर मिल जाएगा क्यूंकि इस देश में बहुत से लोग मरने के बाद अमर हुए है और उनके जीते जी हमने उनके लिए कुछ नही किया परन्तु मरण उपरांत हमने उनकी आत्मा को जरूर शांति दिलवा दी है। फिलहाल मेरा मानना है कि हिंदी के गिरते स्तर के लिए इस देश की बेरोजगारी जिम्मेदार है क्योंकि नौकरी की तलाश में युवा वर्ग को विदेशी भाषाओं का ज्ञान जरूरी हो गया और पूरे दिन विदेशी भाषाओं को सुनते- पढ़ते कब वो भाषा दफ्तर से साथ चलकर घर आ गई पता ही नही चला।
क्या करना है आज के युवा को
यहां मैं हिंदी का स्तर कैसे बढ़ाया जाए इस पर किसी प्रकार की राय देने के काबिल नही हूं क्योंकि मैं स्वयं भी बहुत अच्छी हिंदी ज्ञाता नही हूं, परन्तु एक बात हर भारतीय नागरिक से कहना चाहती हूं कि हिंदी भाषा आप या आपकी आने वाली पीढ़ी बोलिए या न बोलिए परन्तु हिंदी साहित्य की पुस्तकें अवश्य पढ़िए, हिंदी साहित्य विश्व का सबसे बेहतरीन साहित्य है। हमारे हिंदी साहित्य की पुस्तकें किसी भी धर्म, जाति, लिंग, भाषा, रंग, रूप में भेदभाव नहीं करती । हिंदी साहित्य प्रेम को बढ़ावा देता है और जीवनपथ पर जब मनुष्य अकेला संघर्ष कर रहा होता है तब हिंदी में लिखें अनेकों लेख उसका हौंसला मजबूत करते हैं, ऐसे अनेकों लेख व लेखकों के नाम उदाहरण के तौर पर मैं बता सकती हूं परन्तु यह तय करना आपका काम है कि आपकी प्रेरणा कौन सा लेखक या लेख है। जिस प्रकार हम एक दूसरे के जन्मदिवस पर तोहफें देते है उसी प्रकार हिंदी दिवस पर हिंदी को यह तोहफा देना हमारा कर्तव्य नहीं है ?