Indian Politics : कब शुरू हुई गठबंधंन की सरकारें, क्या है लोकसभा चुनाव का इतिहास

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Indian Politics : भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और लोकसभा चुनाव इस लोकतंत्र के महाकुंभ की तरह होते हैं। हर पाँच साल में आयोजित होने वाले ये चुनाव देश की जनता को अपनी पसंद के नेताओं को चुनने का अवसर देते हैं। आइए जानते है क्या है लोकसभा चुनाव का इतिहास –

स्वतंत्रता के बाद पहला चुनाव (1951-52)

स्वतंत्रता के बाद भारत के पहले लोकसभा चुनाव 1951-52 में दो चरणों में हुए थे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) ने इन चुनावों में भारी बहुमत हासिल किया। जवाहरलाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री कियें गए। इन चुनावों में क्षेत्रीय दलों की भी भागीदारी थी, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस का दबदबा बना रहा।

दशकों में बदलाव (1960-1990)

1960 के दशक में नेहरू के मृत्यु के बाद लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस का परचम लहराता रहा। 1977 में आपातकाल का विरोध जनता के बीच उभरा और पहली बार गैर-कांग्रेसी सरकार बनी। इस दौरान जनता पार्टी सत्ता में आई। जिसने भारतीय राजनीति में एक नया अध्याय शुरू किया। 1980 और 1990 के दशक में क्षेत्रीय दलों का महत्व बढ़ा। राम जन्मभूमि आंदोलन और मंडल कमीशन जैसे मुद्दों ने राजनीतिक नजारा बदल दिया था। 1989 में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत नहीं मिल सका और पहली बार गैर-कांग्रेसी दलों के गठबंधन की सरकार बनी, लेकिन ये सरकार लंबे समय तक नहीं चल सकी।

गठबंधन सरकारों का दौर (1990-वर्तमान)

1990 के दशक के अंत से भारत में गठबंधन सरकारों का युग शुरू हुआ। भारतीय जनता पार्टी (BJP) और क्षेत्रीय दलों के विभिन्न गठबंधनों ने सत्ता संभाली। 2014 में भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई और 2019 में दोबारा जीत हासिल की।

चुनाव प्रक्रिया का उदय

भारत में लोकसभा चुनावों की प्रक्रिया लगातार विकसित हुई है। 1951 में मतदान की आयु 21 वर्ष थी, जिसे बाद में घटाकर 18 वर्ष कर दिया गया। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का इस्तेमाल 1982 में शुरू हुआ, जिसने चुनाव प्रक्रिया को तेज और साफ-सुथरा बनाया जा सकें। समय-समय पर मतदाता जागरूकता अभियान भी चलाए जाते हैं, ताकि अधिक से अधिक लोग मतदान में भाग लें।

लोकसभा चुनावों का महत्व

लोकसभा चुनाव भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था का मूल आधार हैं। ये चुनाव देश की जनता को अपने नेताओं को चुनने और सरकार बनाने में भागीदारी का अवसर देते हैं। ये चुनाव सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर राष्ट्रीय चर्चा को जन्म देते हैं।

लोकसभा चुनावों की चुनौतियाँ और भविष्य

आजादी के बाद से भारत के लोकसभा चुनाव मजबूत और स्वतंत्र रहे हैं। लेकिन भविष्य में भी इन चुनावों की निष्पक्षता और मर्यादा को बनाए रखना जरूरी है। चुनाव प्रचार में धनबल और बाहुबल के प्रयोग को रोकना, राजनीतिक भाषणों में सांप्रदायिकता को कम करना और मतदाताओं को सही जानकारी देना जैसी चुनौतियों का समाधान करना होगा। लोकसभा चुनाव भारत के लोकतंत्र की धड़कन हैं। ये चुनाव न केवल देश के भविष्य की दिशा तय करते हैं, बल्कि देश की विविधता और एकता को भी दर्शाते हैं।

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